आज की भागती-दौड़ती दुनिया मे मेंटल हेल्थ से जुड़े कई परेशानियों का सामना लोग कर रहे हैं,आजकल स्ट्रेस और डिप्रेशन की समस्या तो मानो आम सी हो गई है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेशनल लेवल पर आठ में एक शख्स मेंटल डिसऑर्डर (mental disorder) का शिकार है ।
स्ट्रेस और डिप्रेशन के कई कारण होते हैं जैसे काम का प्रेसर,पढ़ाई का प्रेसर,फ्यूचर की अत्याधिक चिंता, और रिलेशनशिप में होने वाली समस्याएं या फिर आर्थिक दिक्कत। अगर हम WHO की मानें तो 30 करोड़ से ज़्यादा लोग डिप्रेशन जैसी गंभीर समस्या से ग्रसित हैं वही भारत में लगभग 5 करोड़ से ज्यादा लोग डिप्रेशन के शिकार हैं। डिप्रेशन एक मेंटल डिस्ऑर्डर हैं जिसके कारण व्यक्ति खुद को हमेशा उदास और अकेला महसुस करता है। डिप्रेशन का असर व्यक्ति की सोच,व्यावहार और वो लगातार कैसा महसुस कर रहे हैं इन सब पर असर पड़ता है। डिप्रेशन के कारण व्यक्ति को अपने दैनिक कार्यों को करने में भी दिक्कत होती हैं जिसकी वजह से कई बार भावात्मक और शारीरिक समस्याए भी पैदा होती है।
डिप्रेशन के शुरुआती संकेत-
लगातार खुद को उदास और अकेला महसुस करना
डिप्रेशन के कारण कई बार व्यक्ति भावात्मक रूप से खुद को महीनों या हफ्तों तक खुद को उदास और अकेला महसुस करते हैं
कोई भी काम में मन नहीं लगना
डिप्रेशन के कारण व्यक्ति को उनके रूचि वाले काम भी करने को मन नहीं करता
शरीर के वज़न में बदलाव
डिप्रेशन के कारण व्यक्ति या तो हमेशा की तुलना ज्यादा खाना खाता है या फिर कम जिसके कारण उनके शरीर का वज़न या तो बढ़ जाता है या तो कम ही हो जाता है।
सूइसाइड के बारे मे सोचना
डिप्रेशन सूइसाइड का एक बड़ा कारण है, डिप्रेशन मे अक्सर लोगों को लगता हैं कि वो क्यु ही जी रहे ।जायदा गुस्सा करने लग जाना डिप्रेशन के कारण लोगों में चिढ़चिढ़ापन बढ़ जाता है जिसके कारण वो ज्यादा गुस्सा करने लगते हैं।
नींद में बदलाव
डिप्रेशन से ग्रसित लोग या तो अत्याधिक सोते हैं या फिर बहुत ही कम।
हमेशा एनर्जी लो और थकावट महसुस करना
डिप्रेशन के कारण व्यक्ति हमेशा एनर्जी लो और थकावट महसुस करता हैं। ऐसे और भी कई संकेत है जो डिप्रेशन की तरफ इशारा करते हैं जैसे कि ध्यान केंद्रित करने मे समस्या,खुद को योग्य नहीं समझना इत्यादी।
अगर आप इन संकेतों में दिए गए समस्याओं से जूझ रहे हैं तो कृपया मनोरोग-चिकित्सक की मदद ले डिप्रेशन से उभरते के लिए कोई लंबे समय वाले इलाज की ज़रूरत नहीं होती आप दवाओं और साइकोथैरेपी की मदद से भी बेहतर महसूस कर सकते हैं।