Movie Review- सीता रामम (हिंदी)
कलाकार– दुलकर सलमान , मृणाल ठाकुर , रश्मिका मंदाना , तरुण भास्कर , सुमंत यालगर्डा , गौतम मेनन , भूमिका चावला , प्रकाश राज और टीनू आनंद आदि।
लेखक- हनु राघवपुडी , रुथम समर और राज कुमार कदमुडी
निर्देशक- हनु राघवपुडीनिर्माता-सी अश्विनी दत्त
रिलीज- 2 सितंबर 2022
फ़िल्म, तीन शब्द का यह फिल्म लोगों को कई आशाएं, कई सपने तो कभी कभी जिंदगी जीने का तरीका भी दे जाता हैं। और वो कहते हैं ना कि एक फिल्म तभी अच्छी मानी जाती हैं जब वो दर्शकों को बांधे रखती हैं मतलब दर्शकों को बोर होने का एक भी मौका नहीं देती और एक अच्छी कहानी वो होती है जो दर्शकों को भावुक कर जाए ।हनु राघवपुडी के निर्देशन में बनी फिल्म सीता रामम ये दोनों ही कसौटियों पर खरी उतरी है।इस फिल्म को पहले दक्षिण भाषा में रिलीज़ किया गया था जिसे दर्शकों से भरपूर प्यार मिला उसके बाद इसे हिंदी भाषा मे भी रिलीज किया गया।
अगर फिल्म कि स्टार कास्ट की बात करे तो फिल्म में दुलकर सलमान , मृणाल ठाकुर , रश्मिका मंदाना , तरुण भास्कर , सुमंत यालगर्डा , गौतम मेनन , भूमिका चावला , प्रकाश राज और टीनू आनंद आदि जैसे प्रतिभाशाली कलाकार हैं,जिनकी अदाकारी की तारीफें दर्शक करते नहीं थक रहे। इस फिल्म को दर्शकों से जम कर सराहना मिली हैं। वैसे तो यह फिल्म एक पीरियड-रोमांटिक ड्रामा फिल्म है।लेकिन फिर भी इसमें भारतीय संस्कृति,हिन्दू मुसलमान के सकारात्मक पहलू तथा देश के प्रति प्रेम को बड़े ही अच्छे ढंग से पर्दे पर दिखाया गया है।
कहानी
अगर फिल्म कि कहानी की बात करे तो कहानी पाकिस्तान में रहने वाली एक लड़की के साथ शुरू होती है। पाकिस्तान में रहने वाली लड़की का नाम आफरीन है और इस किरदार को रश्मिका मंदाना ने निभाया है। इसके अलावा राम का किरदार दुलकर सलमान निभाया है और सीता का किरदार मृणाल ठाकुर ने निभाया है।“एक पाकिस्तानी लड़की है। जिसके दादा जी पाकिस्तान आर्मी में अफसर थे। लेकिन अब वो दुनिया में नहीं है। वो एक चिट्ठी और तमाम जायदाद अपनी इस बच्ची के नाम छोड़ गए हैं और साथ छोड़ गए हैं एक चिट्ठी। ये पाकिस्तानी लड़की, अपने दादा जी की जायदाद से कुछ रूपये चाहती है। लेकिन ये रूपये उसे तभी मिलेंगे, जब वो चिट्ठी को भारत में बैठी सीता को देकर आएगी। लड़की चाहे जो भी कर ले उसे जायदाद तब तक नहीं मिलेगी जब तक चिट्ठी सीता तक न पहुंच जाये। लड़की भारत आती है जहां उसकी मदद करते हैं बालाजी। बालाजी का किरदार तरुण भास्कर ने निभाया है। बालाजी और आफरीन इस चिट्ठी को पहुंचाने के लिए हर तरह से प्रयास करते हैं और उस प्रयास के दौरान वो ऐसी कहानी और रहस्यों से रूबरू होते हैं जिससे सिर्फ आफरीन ही नहीं दर्शक भी अपने आंशू रोक नहीं पाते हैं। अब आफरीन और बालाजी दोनों मिलकर चिट्ठी को उसकी मंजिल तक पहुंचा पाते हैं या नहीं और इस प्रक्रिया के दौरान ऐसा क्या होता है की दर्शकों की आंखो से आंशू बहने लगते हैं इसे देखने के लिए आपको सिनेमाघर की ओर जाना पड़ेगा
अक्सर हिन्दी फ़िल्मों में औरतों को ऐसे दिखाया जाता हैं कि लड़कियां लड़कों पर निर्भर रहती हैं,बस एक सुन्दर लड़कि जिसका रोल पूरी फ़िल्म में बस उसकी सुंदरता होती हैं पर इस फ़िल्म ने उन सोच को पिछे छोड़ते हुए सीता को एक आत्मनिर्भर,सुन्दर और बेहद समझदार दिखाया गया है। साथ ही इस फिल्म में स्त्री प्रेम को दर्शाया गया है कि कैसे कोई स्त्री अपनी सारी उम्र अपने प्यार का इन्तेज़ार करती हैं और कैसे अपने प्रेम के लिए स्त्री अपने ऐशो आराम की कुर्बानी बड़ी आसानी से दे देती हैं पर अपनी जिम्मेदारियों से कभी नहीं हटती। फिल्म का स्क्रीनप्ले इतना अच्छा है की आपके दिल को सीधे छूता है। फिल्म में देशप्रेम तो है इसके अलावा इंसानियत भी है। इंसानियत में पनपता प्रेम भी है।इस फिल्म के गीत भी नए हैं और म्यूसिक भी सुकून देने वाला है। जो आपके साथ सिनेमाघर से निकलने के बाद भी रहता है।
नीचे आपके लिए फिल्म के कुछ dialogue लिखते जा रही ताकि आप समझ पाये की फिल्म की कहानी को कितनी खूबसूरती से लिखी गई है।
“तुम्हें पैसो की जरूरत है और इस चिट्ठी को अपनी मंजिल की”
“आमदनी न हो तो अट्ठनी खर्च करना भी महंगा पड़ता है”
“हमें किसी देश को तबाह नहीं करना, बल्कि अपने देश को तबाही से बचाना है”